रेखा गुप्ता सरकार और विपक्ष का विलाप: बुलडोजर, दिल्ली सरकार, वायदे और एक्शन; पहली रिपोर्ट जिसने सच की है पड़ताल
नई दिल्ली, दिल्ली रेखा गुप्ता सरकार क्या है, सौ (100) दिन का हिसाब, क्या वायदे थे क्या पूरे हुए? 20 फरवरी 2025 को रेखा गुप्ता ने दिल्ली की मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाली है. तब से इन 111 दिनों में सरकार ने जनता से किए कितने वादे पूरे किए पहले उसकी पड़ताल करते हैं. भाजपा ने दिल्ली का चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ा था. कुछ बड़े वायदे थे जनता से जो भाजपा ने किए थे इसमें दो वायदे प्रमुख थे पहला हर महिला को हर महीने 2500 रूपये और दूसरा जहां झोपड़ी वही मकान, बकायदा भाजपा ने वचन पत्र भी हर वोटर तक पहुंचाए थे. क्या भाजपा ने दोनों वायदे पूरे किए हर महिला को 2500 रूपये अभी इसके लिए सरकार ने कुछ भी नहीं किया है, जहां झोपड़ी वहीं मकान इस पर तो उल्टा दिल्ली सरकार पर लोगों के घरों को बुलडोजर से गिराने के कई आरोप लग रहे हैं.
एक अन्य वायदा था किसी भी लाभकारी योजना को रोका नहीं जाएगा, फ्री बिजली, फ्री पानी और हर महिला के लिए डीटीसी की सभी बसों में फ्री यात्रा ये सब चल रहा है. मोहल्ला क्लीनिक जिनका नाम बदला जा रहा है. आयुष्मान आरोग्य मंदिर' में बदलाव: रेखा गुप्ता सरकार मोहल्ला क्लीनिकों को 'आयुष्मान आरोग्य मंदिर' के रूप में बदलने की तैयारी कर रही है. ये नए केंद्र प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने और विभिन्न सुविधाएं प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे, जिनमें कैंसर की जांच और टीकाकरण जैसी सेवाएं शामिल हैं.
कर्मचारियों का समायोजन: मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने आश्वासन दिया है कि मोहल्ला क्लीनिक के कर्मचारियों (डॉक्टरों, नर्सों, फार्मासिस्टों आदि) की नौकरी नहीं जाएगी. उन्हें नई 'आयुष्मान आरोग्य मंदिर' प्रणाली में समायोजित किया जाएगा और प्राथमिकता दी जाएगी, हालांकि उन्हें नई भर्ती प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है.
दिल्ली सरकार पर आरोप है कि आम आदमी पार्टी के द्वारा शुरू की गई मोहल्ला क्लीनिक को बंद किया जा रहा है, क्या ये सच है, हां लगभग 250 मोहल्ला क्लीनिक बंद किए जाएंगे: दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री पंकज सिंह ने घोषणा की है कि लगभग 250 मोहल्ला क्लीनिक, जो किराए के परिसर में चल रहे थे और "सिर्फ कागजों पर" थे, उन्हें बंद किया जाएगा. रेखा सरकार का तर्क है कि इनमें भ्रष्टाचार हुआ है. अभी भी दिल्ली में कई मोहल्ला क्लीनिक चल रहे हैं. दिल्ली में आयुष्मान योजना लागू होने के बाद आयुष्मान आरोग्य मंदिर काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.
एक अन्य वायदा था किसी भी लाभकारी योजना को रोका नहीं जाएगा, फ्री बिजली, फ्री पानी और हर महिला के लिए डीटीसी की सभी बसों में फ्री यात्रा ये सब चल रहा है. मोहल्ला क्लीनिक जिनका नाम बदला जा रहा है. आयुष्मान आरोग्य मंदिर' में बदलाव: रेखा गुप्ता सरकार मोहल्ला क्लीनिकों को 'आयुष्मान आरोग्य मंदिर' के रूप में बदलने की तैयारी कर रही है. ये नए केंद्र प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने और विभिन्न सुविधाएं प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे, जिनमें कैंसर की जांच और टीकाकरण जैसी सेवाएं शामिल हैं.
कर्मचारियों का समायोजन: मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने आश्वासन दिया है कि मोहल्ला क्लीनिक के कर्मचारियों (डॉक्टरों, नर्सों, फार्मासिस्टों आदि) की नौकरी नहीं जाएगी. उन्हें नई 'आयुष्मान आरोग्य मंदिर' प्रणाली में समायोजित किया जाएगा और प्राथमिकता दी जाएगी, हालांकि उन्हें नई भर्ती प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है.
दिल्ली सरकार पर आरोप है कि आम आदमी पार्टी के द्वारा शुरू की गई मोहल्ला क्लीनिक को बंद किया जा रहा है, क्या ये सच है, हां लगभग 250 मोहल्ला क्लीनिक बंद किए जाएंगे: दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री पंकज सिंह ने घोषणा की है कि लगभग 250 मोहल्ला क्लीनिक, जो किराए के परिसर में चल रहे थे और "सिर्फ कागजों पर" थे, उन्हें बंद किया जाएगा. रेखा सरकार का तर्क है कि इनमें भ्रष्टाचार हुआ है. अभी भी दिल्ली में कई मोहल्ला क्लीनिक चल रहे हैं. दिल्ली में आयुष्मान योजना लागू होने के बाद आयुष्मान आरोग्य मंदिर काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.
दिल्ली सरकार ने आम आदमी पार्टी के द्वारा गठित दिल्ली एजुकेशन बोर्ड को भी खत्म कर दिया है. इसके बाद दिल्ली सरकार और अन्य प्राइवेट स्कूल केवल CBSE बोर्ड के तहत ही रजिस्टर्ड होंगे. दिल्ली जैसे छोटे राज्य के लिए जहां शत प्रतिशत स्कूल CBSE बोर्ड द्वारा रजिस्टर्ड हैं एक नए बोर्ड का गठन कितना औचित्यपूर्ण था इसका विश्लेषण होना चाहिए था, कुछ नया करने के नाम पर एक राज्य बोर्ड बना देना और उस पर जनता का पैसा लुटाना कहां तह जायज था?
ब्यूरोक्रेसी पर लगाम: हां एक बात गौर करने वाली है पिछले दस सालों में नौकरशाही काफी हावी थी केजरीवाल चाहे जितना दावा करते ब्यूरोक्रेट्स पर उनका कंट्रोल ना के बराबर था. खुद ब्यूरोक्रेसी से राजनीति में आए केजरीवाल कभी भी किसी विभाग से काम नहीं करवा पाए. आज हालात बदले हैं अधिकारी और कर्मचारी जवाबदेह दिखते हैं. जल बोर्ड, ट्रांसपोर्ट और जिला प्रशासन भी एक सोशल मीडिया पोस्ट पर एक्शन लेते दिखते हैं. दिल्ली में सफाई भी हुई है जिन नालों पर सालों से अवैध मकान थे उनको हटाया गया है जिससे नालों की सफाई संभव हो रही है.
अब फिर लौट कर आते हैं बुलडोजर वाली सरकार पर क्या दिल्ली सरकार बुलडोजर एक्शन कर रही है इसकी पड़ताल करने पर पता चलता है ज्यादातर जगह जहां बुलडोजर गजरा है सब जगह अवैध अतिक्रमण था कहीं रेलवे लाइन, कहीं फुटपाथ और कहीं नालों के ऊपर पक्के मकान बना दिए गए हैं. अब इस पर भारी बवाल हो रहा है और सरकार को जन विरोधी कहा जा रहा है, जहां झुग्गी वहां मकान के बदले झुग्गी उजाड़ने का आरोप लग रहा है, इस पर दिल्ली सरकार साफ कह रही है जो वैध झुग्गी हैं उन सबको पक्का मकान दिया जा रहा है.
मद्रासी कैंप में भी बुलडोजर चला था उसमें जिनकी झुग्गी हटाई गई उनको कहीं और पक्के फ्लैट सरकार ने दिए हैं, हमारे रिपोर्टर्स ने इस बात की पुष्टि की है कि मद्रासी कैंप से जिन झुग्गियों को हटाया गया है उसके बदले नरेला में लगभग 189 परिवारों को फ्लैट का आवंटन किया जा चुका है और ये लोग उसका मालिकाना हक भी ले चुके हैं. लेकिन उसके बाद भी कई परिवार मद्रासी कैंप में बैठे हैं, अगर उनको सरकार का फैसला मंजूर नहीं था तो नई जगह फ्लैट क्यों ले लिया?
दिल्ली कई फुटपाथों और नालों के ऊपर आपको अवैध निर्माण दिख जाएगा, पिछली सरकारों ने इन अवैध निर्माणों को कैसे वैध बिजली पानी कनेक्शन दिए इसकी जांच होनी चाहिए. क्योंकि इन अवैध निर्माण करने वालों का यही तर्क है कि जब हम अवैध थे तो हमें वैध आधार, बिजली, वोटर कार्ड कैसे मिल गया? ये सवाल है पूर्व सरकारों पर और पूर्व हुक्मरानों पर, फुटपाथ पर बिजली कनेक्शन नाले के ऊपर पानी का कनेक्शन रेलवे लाइन पर मकान बनाने की इजाजत किसने दी? "द इनसाइड ख़बर" आपको एक एंगल से इस खबर का विश्लेषण दिखा रहा है. हम लोकतंत्र और कानून के दायरे में ही बात करने पर विश्वास करते हैं, सच सामने लाते हैं, सच कड़वा होता है लेकिन सच ही सच है.
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