विपक्ष की एकता: सत्ता की भूख और अहंकार की लड़ाई

विपक्ष एकता की पोल दो ही दिनों में खुलने लगी है, ममता और केजरीवाल ने बिगाड़ा माहौल 

द इनसाइड खबर, Opposition Parties Meeting: 23 जून को पटना में आयोजित बैठक में 15 विपक्षी दलों ने केंद्र में बीजेपी को हराने के लिए 2024 का लोकसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ने का संकल्प लिया था. लेकिन दो दिनों के बाद ही इन दलों में गंभीर मतभेद सामने आने लगे हैं.

फोटो: पीटीआई
अरविंद केजरीवाल कांग्रेस को खरी खोटी सुना रहे हैं, वही पंचायत चुनावों के दौरान टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी माकपा और कांग्रेस को भाजपा के साथ मिलकर उनके खिलाफ काम करने का आरोप लगा रही हैं.

बसपा पहले ही विपक्ष के साथ नहीं है, वैसे इस समय बसपा को लेकर ज्यादा चर्चा नहीं है, मायावती को अब राजनीति में गुजरा वक्त मान लिया गया है.

तृणमूल, आम आदमी पार्टी और जेडीयू जैसी क्षेत्रीय पार्टियां विपक्षी एकजुटता के लिए प्रयास कर रही हैं. ऐसे में कांग्रेस जैसे बड़े दल किस हद तक समझौता करेंगे ये एक बड़ा प्रश्न है. अगर उत्तरप्रदेश की बात करें तो समाजवादी पार्टी विपक्ष का बड़ा चेहरा है. कांग्रेस का 2019 के लोकसभा चुनावों में सफाया हो गया था 80 लोकसभा सीटों में उसे केवल एक सीट पर विजय मिली थी. सपा को 5 सीटें मिली थी.

अब नीतीश कुमार के जेडीयू की बात करें तो 2019 लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में भाजपा ने 17 और जेडीयू ने 16 लोकसभा सीटें जीती थी. जबकि राजद अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी.

ऐसे में अब 2024 में किस तरह सीटों का बंटवारा होगा ये काफी पेचीदा सवाल है. ऐसे ही पेंच पश्चिम बंगाल, दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र में फसने तय हैं. कोशिश कितनी भी की जाय सत्ता की भूख सबको बराबर है. ऐसे में विपक्ष की एकता पर तमाम प्रश्नचिन्ह लगते रहेंगे.

(चुनाव डेस्क)

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